Mahashivratri 8 March 2024: महाशिवरात्रि की कथा, जाने महाशिवरात्रि की पूजा करने की विधि, शुभ मुहूर्त, शुक्र प्रदोष और महाशिवरात्रि की आरती

Mahashivratri 8 March 2024: महाशिवरात्रि की कथा, जाने महाशिवरात्रि की पूजा करने की विधि, शुभ मुहूर्त, शुक्र प्रदोष और महाशिवरात्रि की आरती

महाशिवरात्रि के पौराणिक कथा में कई महत्वपूर्ण कथाएं हैं, जिनमें से कुछ मुख्य हैं।

1. **सागर मंथन:**

   इस पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच एक युद्ध हुआ था। इस युद्ध के दौरान, देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन की योजना बनाई। समुद्र मंथन के दौरान, हालाहल विष उत्पन्न हुआ जिसे पीने से सभी देवता-असुर मर जाते। भगवान शिव ने हालाहल को पीने से रोका और इसे अपने गले में रखा, जिससे उनका गला नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ कहा गया। इससे भगवान शिव को ‘नीलकंठ’ कहा जाने लगा।

2. **पर्वती स्वयंवर:**

   एक और पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने पर्वती से शादी की। पर्वती ने महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा कर उन्हें प्राप्त किया था। इससे पर्वती की इच्छा पूरी हुई और वह भगवान शिव की पत्नी बनी।

3. **प्रलय के बाद शिव का तांडव:**

   एक और पौराणिक कथा के अनुसार, प्रलय के बाद जब विश्व की रचना होने जा रही थी, तब भगवान शिव ने अपना तांडव नृत्य रचा। इसे महाशिवरात्रि के रूप में मनाने का माना जाता है।

ये पौराणिक कथाएं महाशिवरात्रि के महत्व को समझाने में मदद करती हैं।

महाशिवरात्रि पूजा का महत्व:

महाशिवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव ने अपनी आदियोगिनी शक्ति पार्वती को प्राप्त किया था। यह पर्व शिव भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और वे इसे बहुत धूमधाम से मनाते हैं।

शुक्र प्रदोष का महत्व:

शुक्र प्रदोष का अर्थ होता है शुक्रवार को प्रदोष काल में होने वाला योग। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है और यह शिव भक्तों के लिए बहुत प्रसन्नता का कारण बनता है।

पूजा की विधि:

1. स्नान: पूजा की शुरुआत में स्नान करें। यह शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है।

2. पूजा स्थल की सजावट: पूजा स्थल को सजाएं, भगवान शिव की मूर्ति, फोटो या प्रतिमा को स्थापित करें।

3. कलश स्थापना: पूजा के लिए कलश स्थापित करें और उसमें जल और धारा डालें।

4. ध्यान और मंत्र जप: भगवान शिव का ध्यान करें और मंत्र जप करें, जैसे “ॐ नमः शिवाय” या अन्य शिव मंत्र।

5. अर्चना: पूजा में पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि के साथ अर्चना करें।

6. आरती: पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें।

7. प्रसाद वितरण: पूजा के प्रसाद को सभी को बाँटें।

इस तरह की विधि से आप महाशिवरात्रि और शुक्र प्रदोष की पूजा कर सकते हैं।

शुभ मुहूर्त:

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करने के लिए आप अपने स्थानीय पंडित या पंडितिनी से सलाह ले सकते हैं। यहां कुछ आम मुहूर्त हैं:

1. प्रात: 6:00 बजे से 9:00 बजे तक

2. मध्यान्ह: 12:00 बजे से 2:00 बजे तक

3. सायं: 4:00 बजे से 7:00 बजे तक

ये मुहूर्त संतोषप्रद हो सकते हैं, लेकिन आपको अपने स्थान के अनुसार मुहूर्त का चयन करना चाहिए।

Mahashivratri
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महाशिवरात्रि भगवान शिव की आरती – Mahashivratri 2024 Shiv Aarti

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे। सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥

ओम जय शिव ओंकारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

शिव पूजा का आनंद लें और इस पवित्र दिन को मनाएं।